परमेश्वर द्वारा सदोम के विनाश में मनुष्यों के लिए चेतावनी

27.05.2020

1 सदोम के लोगों के द्वारा की गई दुष्टता के तमाम कार्यों के लिहाज से, परमेश्वर के सेवकों को नुकसान पहुंचाना तो बस उनकी दुष्टता का छोटा सा हिस्सा था, और इससे जो उनकी दुष्ट प्रकृति प्रकट हुई थी वह वास्तव में विशाल समुद्र में पानी की एक बूंद के बराबर ही थी। इसलिए, परमेश्वर ने उन्हें आग से नष्ट करने का फैसला किया। परमेश्वर ने नगर को नष्ट करने के लिए बाढ़ का इस्तेमाल नहीं किया, न ही उसने चक्रवात, भूकम्प, सुनामी या किसी और तरीके का इस्तेमाल किया। इस नगर का विनाश करने के लिए परमेश्वर के द्वारा आग का इस्तेमाल क्या सूचित करता है? इसका अर्थ नगर का सम्पूर्ण विनाश था, इसका अर्थ था कि नगर पूरी तरह से पृथ्वी से और अस्तित्व से लोप हो गया था। यहां, "विनाश" न केवल नगर के आकार और ढांचे या बाहरी रूप के लोप हो जाने की ओर संकेत करता है; बल्कि इसका अर्थ यह भी है कि पूरी रीति से मिटा दिए जाने के कारण नगर के भीतर के लोगों की आत्माएं भी अस्तित्व में नहीं बचीं। साधारण रूप से कहें, तो नगर के साथ जुड़े सभी लोगों, घटनाओं और चीज़ों को नष्ट किया गया था। उनके लिए दूसरा जीवन या पुनर्जन्म नहीं होगा; परमेश्वर ने उन्हें मानवजाति से, एवं अपनी सृष्टि से हमेशा-हमेशा के लिए मिटा दिया था।

2 "आग का इस्तेमाल" पाप के विराम को सूचित करता है, और इसका अर्थ है पाप का अंत; यह पाप अस्तित्व में नहीं रहेगा और ना ही फैलेगा। इसका अर्थ था कि शैतान की दुष्टता ने अपनी उपजाऊ मिट्टी के साथ-ही-साथ उस कब्रिस्तान को भी खो दिया था जिसने इसे रहने और जीने के लिए एक स्थान प्रदान किया था। परमेश्वर और शैतान के बीच युद्ध में, परमेश्वर द्वारा आग का इस्तेमाल उसकी विजय की छाप है जिससे शैतान पर मुहर लगाई गई है। मनुष्यों को भ्रष्ट और बर्बाद करने के द्वारा परमेश्वर का विरोध करने की शैतान की महत्वाकांक्षा में सदोम का विनाश एक बहुत भारी चूक है, और उसी प्रकार यह मनुष्यों के विकास में उस समय का एक अपमानजनक चिह्न है जब मनुष्य ने परमेश्वर के मार्गदर्शन को ठुकरा दिया था और अपने आपको बुराई के हवाले कर दिया था। इसके अतिरिक्त, यह परमेश्वर के धर्मी स्वभाव के सच्चे प्रकाशन का एक लेखा-जोखा है।

- "वचन देह में प्रकट होता है" में "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II" से रूपांतरित

इस तथ्य से कि परमेश्वर ने सदोम और अमोरा को नष्ट कर दिया, हमें परमेश्वर को कैसे जानना चाहिए? अधिक जानने के लिए पढ़ें और प्राप्त करें।

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1यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य, जो उसे परमेश्‍वर ने इसलिए दिया कि अपने दासों को वे बातें, जिनका शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए: और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया, (प्रका. 22:6)

उत्पत्ति 2:18-20 फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, "आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उस से मेल खाए।" और यहोवा परमेश्‍वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखे कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है;...

प्रभु यीशु ने कहा था, "जो मुझसे, 'हे प्रभु, हे प्रभु' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।

मसीह के वचनउद्धारकर्त्ता पहले ही एक "सफेद बादल" पर सवार होकर वापस आ चुका है
कई हज़ार सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को देखने की इच्छा की है जब वह एक सफेद बादल पर सवार होकर स्वयं उन लोगों के बीच उतरता है...

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