प्रभु में आस्थावान कई भाई-बहनें यह विश्वास करते हैं कि चूँकि परमेश्वर ने पहले नर के स्वरुप में देहधारण करी थी इसलिए इस बार जब वे देह में लौटेंगे, तो वे निश्चित ही नर ही होंगे। वेई ना को अंतत: परमेश्वर के वचनों में अपने उत्तर मिले और उनकी अवधारणा का समाधान हो गया।
बीस साल गंवाने के बाद आख़िरकार मैं मेमने के पदचिह्नों पर चल रही हूँ
औक्स, दक्षिणी कोरिया
मैं एक कैथोलिक परिवार में पली-बढ़ी हूँ, जब मैं छोटी थी, तो मैं अपने माता-पिता के साथ भक्तिपूर्ण विश्वास का जीवन जीती थी, प्रभु की भरपूर कृपा का आनंद लेती थी और सक्रिय रूप से कलीसिया के समारोहों में हिस्सा लेती थी। उस समय में, पुरोहित अक्सर कहा करते थे, "प्रभु अंत के दिनों में लौट आएंगे और इसलिए हमें इंतजार करना चाहिए। किसी भी समय हमें प्रभु को छोड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि यदि हम दूसरे धर्म को स्वीकार करते हैं, तो वह प्रभु के साथ विश्वासघात और एक अक्षम्य पाप होगा।" मैंने पुरोहित के शब्दों को दिल से मान लिया और जीवन भर प्रभु का पालन करने और उन्हें कभी धोखा न देने का संकल्प लिया।

कलीसिया उजाड़ हो जाती है और मैं अपना मार्ग खो बैठती हूँ
हालाँकि, बाद में, मुझे लगा कि कलीसिया धीरे-धीरे प्रभु का आशीष खो रही है, पुरोहित द्वारा दिए गए उपदेश फीके और नीरस हैं। प्रत्येक सभा में, पुरोहित या तो यूहन्ना या मत्ती के सुसमाचार का उपदेश देते थे, जो विश्वासियों की समस्याओं को बिल्कुल भी हल नहीं कर पाता था। भाई-बहनों का विश्वास ठंडा पड़ गया, उनकी आत्माएँ कमज़ोर हो गईं, कोई भी मिस्सा के दौरान अधिक उत्साह नहीं दिखाता था और कलीसिया के सभाओं में भाग लेने वालों की संख्या कम होती चली गई। कलीसिया ने एक कारखाने की स्थापना की और विश्वासियों को उस कारखाने में शेयरधारक बनने के लिए जोड़ लिया, इस प्रकार एक कलीसिया जिसने प्रभु की आराधना की थी, एक धर्मनिरपेक्ष व्यावसायिक उद्यम के समान बन गया। मुझे इससे भी अधिक धक्का तब लगा, जब बिशप का पद पाने की होड़ में, हमारे पुरोहित ने अपने छोटे भाई को एक अन्य पुरोहित का अपहरण करने और उसका कान काटने के लिए भेज दिया और इस प्रकार दूसरे पुरोहित को अमान्य बना दिया जिससे वो बिशप का पद ग्रहण न कर सके। मामला सामने आने के बाद, उस पुरोहित और उसके छोटे भाई को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। ...घटनाओं की यह लड़ी मेरी कल्पना के परे थी: हमारी कलीसिया इतनी नीच और अंधकारमय कैसे हो सकती है? क्या प्रभु अब भी इस कलीसिया में मौजूद थे? मुझे बहुत दुःख हुआ, मुझे लगा कि मैं खो गयी हूँ।
अपने धारणाओं से चिपके रहने के कारण, प्रभु का उद्धार मेरे सामने से निकल गया
1998 में, मैं बहन गुओ से मिली, जो अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का प्रचार कर रही थी। उन्होंने मेरे साथ संगति की और कहने लगीं, "अब हम अंत के दिनों में हैं और प्रभु यीशु देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आए हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अनुग्रह के युग को समाप्त कर दिया है, राज्य के युग का सूत्रपात किया है, वह सत्य को व्यक्त करते हैं और परमेश्वर के घर में शुरू होने वाले न्याय के कार्य को करते हैं। अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य का अनुसरण करके, हम मेम्ने के नक्शेकदम पर चल रहे हैं और हम अंत के दिनों में परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त कर सकते हैं। परमेश्वर अब एक नया कार्य कर रहे हैं और पवित्र आत्मा का कार्य स्थानांतरित हो गया है। धार्मिक दुनिया ने बहुत पहले ही पवित्र आत्मा के कार्य को खो दिया है, पादरियों के पास उपदेश देने के लिए कुछ भी नहीं है, विश्वासियों का विश्वास ठंडा पड़ गया है और अधर्म बढ़ता जा रहा है। कलीसिया उजाड़ हो गयी है, हमें बुद्धिमान कुंवारियों के जैसा होना चाहिए और परमेश्वर की वाणी सुनने का ध्यान रखना चाहिए, महान शहर बेबीलोन से विदा लेनी चाहिए, एक ऐसी कलीसिया की खोज करनी चाहिए जिसमें पवित्र आत्मा का कार्य हो और सच्चे मार्ग की तलाश और जांच करनी चाहिए। यह एकमात्र सही काम है।"
बहन गुओ की संगति सुनते हुए, मैंने सोचा कि यह कितना उचित लगता है। कलीसिया उजाड़ हो गयी है, हमारी आत्माएं प्यास से तड़प रही हैं, और हम अब प्रभु की उपस्थिति को महसूस नहीं कर पा रहे हैं-हमें अपनी कलीसिया को छोड़ना होगा और एक ऐसी कलीसिया की तलाश करनी होगी जिसमें पवित्र आत्मा का कार्य हो। लेकिन तब मैंने पुरोहित ने जो कहा था उसके बारे में सोचा: अगर हमने कैथोलिक धर्म छोड़ दिया और दूसरी कलीसिया की जाँच की, तो हम प्रभु के साथ विश्वासघात करेंगे और एक अक्षम्य पाप करेंगे, इसलिए मुझे डर लगा। बाद में, सिस्टर गुओ तीन बार मेरे पास आईं, लेकिन मैंने हर बार विनम्रता से मना कर दिया। उसके बाद, बहन गुओ सुसमाचार का प्रचार करने के लिए कहीं और चली गईं और मैंने उन्हें फिर कभी नहीं देखा। इसके बाद के वर्षों में, मेरी कलीसिया की स्थिति साल-दर-साल बिगड़ती गई और अधर्म के उदाहरण बढ़ने लगे। पुरोहितों के पास अभी भी उपदेश देने के लिए कुछ भी नहीं था, पदों के लिए संघर्ष करते हुए, वे ईर्ष्यापूर्ण विवादों में लिप्त हो जाते थे, गुट बनाकर एक-दूसरे पर हमला करते थे। कुछ विश्वासियों ने तो कलीसिया को पूरी तरह से छोड़ भी दिया और अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने लगे। इन घटनाओं का सामना करते हुए, मुझे दर्द और बेबसी महसूस हुयी, मैंने कलीसिया की सभाओं में जाना बंद कर दिया, इसके बजाय मैंने अपने धर्म का पालन करन जारी रखा और घर पर बाइबल पढ़ने लगी।
विदेशों में भी स्थिति अलग नहीं थी-प्रभु कहाँ थे?
जुलाई 2013 में, मैं अपनी बेटी को उसके बच्चे की देखभाल में मदद करने के लिए दक्षिण कोरिया आ गई। अपने खाली समय में, मैंने सोचा कि मुझे एक कलीसिया ढूंढनी चाहिए ताकि मैं कलीसियाई जीवन जी सकूँ, मैंने सोचा कि शायद दक्षिण कोरिया में कैथोलिक कलीसियाओं की स्थिति चीन से बेहतर होगी। हालाँकि, कुछ समय बाद, मुझे पता चला कि दक्षिणी कोरिया में मिस्सा सिर्फ एक धार्मिक समारोह के ढर्रे पर चल रहा था, इससे अधिक ये और कुछ नहीं था। एक बार, मिस्सा खत्म होने के बाद, मैंने आंगन में बहुत सी चीजें देखीं: सभी तरह के व्यावसायिक उत्पाद, मेकअप के उत्पाद और स्वास्थ्य सम्बन्धी उत्पाद थे, धर्म-बहनें, विश्वासियों को अपने सामान बेचने की कोशिश कर रही थीं और किसी के कुछ न खरीदने पर विशिष्ट रूप से दुखी दिख रही थीं। इस तमाशे को देखते हुए, मैं व्यवस्था के युग के अंत के बारे में सोचे बिना न रह सकी, जब मंदिर मवेशियों, भेड़ों और कबूतरों के व्यापार का स्थान बन गया था। मैंने यह सोचते हुए एक गहरी आह भरी: मैंने कभी भी उम्मीद नहीं की थी कि विदेशों में भी कैथोलिक कलीसिया की वही स्थिति होगी। यह प्रभु की आराधना करने का स्थान नहीं है, बल्कि यह केवल व्यापार का स्थान बन गया है! व्यवस्था के युग के अंत के मंदिरों और इसके बीच क्या अंतर है? आखिर प्रभु कहाँ चले गए हैं? ओह, जब मैं कैथोलिक धर्म में प्रभु की उपस्थिति को महसूस नहीं कर पा रही, तो इसे ढोने का क्या अर्थ है? यह सोचकर, मुझे एहसास हुआ कि बेहतर होगा मैं दूसरी कलीसियाओं पर एक नज़र डालूँ, लेकिन पुरोहित ने जो कहा था उसके बारे में सोचकर, कि अन्य संप्रदाय में परिवर्तित होना प्रभु के साथ विश्वासघात करना होगा, मैंने इस विचार को त्याग दिया।
बाद के दिनों में, जब भी मैंने अपनी दीवार पर प्रभु यीशु की तस्वीर देखती थी, तो मुझे बयाँ न कर सकने वाले दुःख की अनुभूति होती थी। मैं अभी समझ नहीं पा रही थी: आखिर धार्मिक दुनिया में क्या गलत था? क्या वास्तव में प्रभु ने इसे छोड़ दिया है? लेकिन तब प्रभु कहाँ चले गए हैं? मुझे ऐसा लगा कि मैं बहुत खो गयी हूँ और बेबस हो गयी हूँ, हर दिन मैं प्रभु से प्रार्थना करती: "हे प्रभु, आप कहां हैं? ..."

मेरा फिर से प्रभु के प्रेम के संग सामना होता है
2017 के बसंत उत्सव की पूर्व संध्या पर, मैं बहन हुआंग से मिली, और मैंने उसे पिछले कुछ वर्षों में कैथोलिक धर्म के अपने अनुभवों के बारे में बताया। मेरी बात सुनने के बाद, उसने मुझे अपनी कलीसिया में बुलाया। एक बार जब मैं वहाँ गयी, तो मैंने देखा कि सभी भाई-बहनों ने मेरा स्वागत किया, वे सभी ईमानदार और सभ्य लोग थे जो उत्साही और सच्चे थे, और मैं तुरंत उनके प्रति स्नेह से भर गयी।
बाद में, भाइयों में से एक ने मेरे समक्ष गवाही दी कि अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, देहधारी होकर चीन में आये हैं और परमेश्वर के भवन से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को कर रहे हैं। जब मैंने यह सुना, तो मुझे अचानक याद आया कि सिस्टर गुओ ने भी 20 साल पहले मेरे लिए अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का उपदेश दिया था। उस वक्त, मैंने इसकी जाँच करने से इनकार कर दिया था क्योंकि मुझे धर्मत्याग करने से डर लगता था। अब, जब मैंने इस मार्ग के बारे में फिर से सुना, तो मैंने सोचा: क्या इसके पीछे प्रभु की भली मंशा है? क्या प्रभु ने मेरी प्रार्थना सुनी है? मुझे दिल में खुशी के संग कुछ संदेह और उत्सुकता महसूस हुई। तब भाइयों और बहनों ने मुझे, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की उत्पत्ति और विकास" और परमेश्वर के वचनों के भजन, "पूरब की ओर लाया है परमेश्वर अपनी महिमा" का संगीत वीडियो दिखाया। उन्हें देखकर मैं बहुत द्रवित हो गयी।
बाद में, एक बहन ने संगति देते हुए कहा, "परमेश्वर अब चीन में देहधारण कर चुके हैं और वे इजरायल से अपनी महिमा पूर्व में ले आए हैं। लोगों को पाप के बंधनों से बचाने के लिए और परमेश्वर द्वारा हमारे लिए तैयार की गयी खूबसूरत मंजिल में हमें प्रवेश करने में सक्षम बनाने के लिए, वह सत्य व्यक्त करते हैं और परमेश्वर के भवन से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को अंजाम दे रहे हैं।" धार्मिक जगत की उदासीनता और अंधकार की जड़ पर भी उन्होंने संगति दी, इसका मुख्य कारण यह है कि पादरी और एल्डर प्रभु के वचनों का अभ्यास नहीं करते हैं, प्रभु की शिक्षाओं का पालन नहीं करते हैं और प्रभु की आरधना करने में विश्वासियों की अगुवाई नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे खुद को ऊँचा करते हैं, अपनी गवाही देते हैं, अपने स्वयं के पद और आजीविका को बनाए रखने के लिए काम करते हैं, इस कारण प्रभु उन्हें स्वीकार नहीं करते हैं और उनसे घृणा करते हैं। एक अन्य कारण यह है कि परमेश्वर ने एक नया कार्य शुरू किया है, पवित्र आत्मा का कार्य, अनुग्रह के युग की कलीसियाओं से प्रस्थान कर गया है, उसने परमेश्वर के नए कार्य का समर्थन करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि धार्मिक दुनिया के भीतर के सभी संप्रदाय पवित्र आत्मा के कार्य को खो चुके हैं और अंधेरे में डूब गए हैं।
भाई-बहनों की संगति सुनने के बाद, मैंने पिछले कुछ सालों में धर्म में उजाड़ता और अधर्म के जो दृश्य देखे थे, उन्हें मैं याद करने लगी और मुझे अपने भीतर भावनाएं उमड़ती हुई महसूस हुईं। मुझे लगा कि संगति पूरी तरह तथ्यों के अनुसार थी और मेरी लिए बहुत लाभदायक थी। मुझे लगा कि इस कलीसिया मेरा आना सच में प्रभु का मार्गदर्शन था।
जिन अवधारणाओं से मैं चिपकी हुई थी, वे गलत थीं
मैंने इस मार्ग की जांच जारी रखी और भाई-बहनों को उस समस्या के बारे में बताया जिसने मुझे हमेशा से परेशान किया था, ताकि हम एक साथ जवाब खोज सकें। मैंने कहा, "पुरोहित अक्सर हमें चेतावनी देते हैं कि यदि हम कैथोलिक धर्म छोड़ते हैं, किसी अन्य संप्रदाय को स्वीकार करते हैं, तो हम धर्मत्याग कर रहे हैं, प्रभु को धोखा दे रहे हैं और एक अक्षम्य पाप कर रहे हैं। इसलिए पिछले कुछ वर्षों में यह सुनने के बाद भी कि प्रभु अपना न्याय का कार्य करने के लिए वापस लौट आयें हैं, मैंने कभी भी इसकी तलाश करने या इसकी जांच करने की हिम्मत नहीं की। इसलिए मैं आपके साथ इस प्रश्न का उत्तर खोजना चाहती हूँ: क्या हम कैथोलिक धर्म छोड़कर धर्मत्याग कर रहे हैं? मैं हमेशा इस मुद्दे को लेकर उलझन में रही हूँ, इसलिए मैं इस बारे में आपके साथ संगति करना चाहती हूँ।"
बहनों में से एक ने मुझे संगति दी और कहा, "बहन, केवल सत्य की खोज करके ही हम इस बात को अच्छी तरह से समझ पाएंगे कि अन्य कलीसियाओं की खोज और जांच करके हम प्रभु यीशु के साथ विश्वासघात कर रहे हैं या नहीं। अगर हम व्यवस्था के युग को याद करें, तो हम पाएंगे कि सभी इस्राएली यहोवा पर विश्वास करते थे, वे मंदिर में उनकी आराधना करते और सब्त के दिन का पालन करते थे। लेकिन जब प्रभु यीशु आए, तो उन्होंने मंदिर में कार्य नहीं किया, बल्कि यात्राएं की और तट पर, पहाड़ों पर और कई गांवों में उपदेश दिए, उन्होंने बीमारों को चंगा किया और दुष्टात्माओं को बाहर निकाला और इन्सान से अपने पापों को स्वीकार करने और पश्चाताप करने के लिए कहा। जहाँ तक पतरस, यूहन्ना और मत्ती जैसे लोगों की बात है, जिन्होंने प्रभु को बोलते हुए सुना, उन्हें कार्य करते देखा, जिन्होंने मंदिर छोड़कर प्रभु का अनुसरण किया, क्या ऐसा कहा जा सकता है कि उन्होंने एक दूसरा संप्रदाय स्वीकार किया था? क्या ऐसा कहा जा सकता है कि उन्होंने धर्मत्याग किया और यहोवा को धोखा दिया? प्रभु यीशु और यहोवा एक परमेश्वर हैं, इसलिए प्रभु यीशु के कार्य को स्वीकार करके, न केवल वे परमेश्वर के साथ विश्वासघात नहीं कर रहे थे, बल्कि वे परमेश्वर के पदचिन्हों पर चल रहे थे। इसके विपरीत, वे फरीसी और यहूदी लोग, जो मंदिर के पुराने तरीकों से चिपके हुए थे, जिन्होंने प्रभु यीशु को बोलते हुए सुना और उन्हें कार्य करते देखा, लेकिन फिर भी अपनी धारणाओं पर अड़े रहे और प्रभु के मार्ग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, वास्तव में ये विद्रोही और परमेश्वर का विरोध करने वाले लोग थे, इस प्रकार उन्होंने परमेश्वर की निंदा, अस्वीकृति और घृणा पाई। इसी तरह, अंत के दिनों में प्रभु की वापसी से सामना होने पर, हम अपने स्वयं के संप्रदायों को छोड़कर प्रभु का स्वागत करने आए हैं। क्या इसका मतलब यह है कि हम प्रभु के साथ विश्वासघात कर रहे हैं? परमेश्वर के वचन इसे बहुत स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं।
"सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, 'संसार में कई प्रमुख धर्म हैं, प्रत्येक का अपना प्रमुख, या अगुआ है, और अनुयायी संसार भर के देशों और सम्प्रदायों में सभी ओर फैले हुए हैं; प्रत्येक देश, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, उसमें भिन्न-भिन्न धर्म हैं। हालाँकि, इस बात की परवाह किए बिना कि संसार भर में कितने धर्म हैं, ब्रह्माण्ड के सभी लोग अंततः एक ही परमेश्वर के मार्गदर्शन के अधीन अस्तित्व में हैं, और उनके अस्तित्व को किसी भी प्रमुख धार्मिक अगुवाओं या नेताओं के द्वारा मार्गदर्शित नहीं किया जाता है। कहने का अर्थ है कि मानवजाति को किसी विशेष धार्मिक अगुवा या नेता के द्वारा मार्गदर्शित नहीं किया जाता है; बल्कि सम्पूर्ण मानवजाति को एक ही रचयिता के द्वारा मार्गदर्शित किया जाता है, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी का और सभी चीजों का और मानवजाति का भी सृजन किया है-और यह एक तथ्य है। यद्यपि संसार में कई प्रमुख धर्म हैं, किन्तु इस बात कि परवाह किए बिना कि वे कितने महान हैं, वे सभी रचयिता के प्रभुत्व के अधीन अस्तित्व में हैं और उनमें से कोई भी इस प्रभुत्व के दायरे से बाहर नहीं जा सकता है। मानवजाति का विकास, सामाजिक प्रगति, प्राकृतिक विज्ञान का विकास-प्रत्येक रचनाकार की व्यवस्थाओं से अवियोज्य है और यह कार्य ऐसा नहीं है जो किसी विशेष धार्मिक प्रमुख के द्वारा किया जा सके। धार्मिक प्रमुख किसी विशेष धर्म के सिर्फ़ अगुआ हैं, और परमेश्वर का, या उसका जिसने स्वर्ग, पृथ्वी और सभी चीज़ों को रचा है, प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं। धार्मिक प्रमुख पूरे धर्म के भीतर सभी का मार्गदर्शन कर सकते हैं, परन्तु स्वर्ग के नीचे के सभी प्राणियों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं-यह सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत तथ्य है। धार्मिक प्रमुख मात्र अगुआ हैं, और परमेश्वर (रचयिता) के समकक्ष खड़े नहीं हो सकते हैं। सभी बातें रचनाकार के हाथों में हैं, और अंत में वे सभी रचयिता के हाथों में लौट जाएँगे। मानवजाति मूल रूप से परमेश्वर के द्वारा बनायी गई थी, और धर्म की परवाह किए बिना, प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन लौट जाएगा-यह अपरिहार्य है।'
"परमेश्वर के वचनों को पढ़ने से, हमें इस बात का एहसास होता है कि पृथ्वी पर चाहे कितने भी संप्रदाय हों, वे सभी एकमेव परमेश्वर की संप्रभुता के तहत मौजूद हैं। इतिहास को ध्यान से देखने पर, हम इस बात से अवगत होते हैं कि जब प्रभु यीशु ने छुटकारे के अपने कार्य को पूरा किया था, उस समय सभी वफादार प्रभु यीशु मसीह को ही पुकाराते थे, एक ही बाइबल पढ़ा करते थे-कोई अन्य संप्रदाय नहीं था। यह तो बाद में ही हुआ कि अगुवाओं ने विश्वासियों की अगुवाई विभिन्न समूहों में करनी शुरू कर दी क्योंकि उनमें से हरेक की बाइबल की व्याख्या अलग थी, चूँकि वे सभी महसूस करते थे कि बाइबल की उनकी अपनी समझ ही सही समझ थी इसलिए कोई भी, किसी और के सामने झुकने को तैयार न था। इस प्रकार, उन सभी ने उन संप्रदायों का गठन किया जिन्हें हम आज देखते हैं। वास्तव में, चाहे वह कैथोलिक धर्म हो, पूर्वी रूढ़िवादी कलीसिया या प्रोटेस्टेंटवाद हो, वे सभी प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं और एक ही परमेश्वर में विश्वास करते हैं। इस दुनिया में चाहे जितने भी संप्रदाय हों या एक संप्रदाय कितना भी शक्तिशाली और प्रभावशाली हो, कोई भी परमेश्वर के अधिकार से ऊँचा नहीं हो सकता है, और अंत में सभी संप्रदायों को आवश्यक रूप से परमेश्वर के प्रभुत्व के तहत एकजुट होना होगा। जैसा कि बाइबल में भविष्यवाणी की गयी है: 'अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे' (मीका 4:1)। 'जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है' (प्रकाशितवाक्य 2:7)। इन भविष्यवाणियों में बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि परमेश्वर अंत के दिनों में केवल एक संप्रदाय से नहीं बल्कि सभी कलीसियाओं से बात करेंगे और अंततः सभी लोग परमेश्वर के पर्वत पर जाएंगे और उनके सिंहासन के समक्ष लौट आएंगे। अब, प्रभु यीशु ने देह में वापस आकर सर्वशक्तिमान परमेश्वर का नाम धारण किया है और अनुग्रह के युग के कार्य की नींव पर वह सत्य को व्यक्त करते हैं, मनुष्य का न्याय करने और उसे शुद्ध करने का कार्य करते हैं और मानवजाति को बचाने के लिए अपने वचनों का उपयोग करते हैं। सभी धर्मों, सभी संप्रदायों, सभी लोगों और सभी जातियों के बीच, जो परमेश्वर की भेड़ें हैं, वे उनके वचनों को सुनती हैं, तो वे अपने दिल की गहराई से पुष्टि करने में सक्षम होती हैं कि यह परमेश्वर की वाणी है, और एक-एक करके वे परमेश्वर के समक्ष लौट आती हैं। अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने से हम धर्मत्याग या प्रभु यीशु से विश्वासघात नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय, हम मेम्ने के नक्शेकदम पर चल रहे हैं, जीवन के जीवित जल से पोषित हो रहे हैं, और हम अंत के दिनों में परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त कर रहे हैं।"
बहन की संगति सुनने के बाद, मैं समझ गयी। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किस संप्रदाय से हैं, हम सभी एक परमेश्वर में विश्वास करते हैं, हम सभी एक ही परमेश्वर के मार्गदर्शन को स्वीकार करते हैं, और हम सभी अंत में उनके पास लौट आएंगे। आज, धार्मिक दुनिया भर में सभी संप्रदाय उजाड़ हो गए हैं, वे पवित्र आत्मा के कार्य से रहित हैं, और वे जीवन की कोई भी आपूर्ति प्राप्त नहीं कर सकते हैं। अगर मैं अभी भी धर्म में दिन काटती रही, तो क्या मैं प्रभु के उद्धार जो खो नहीं दूँगी? मैंने सोचा कि कैसे मैं सालों से इस गलत धारणा से ग्रस्त थी कि कैथोलिक धर्म छोड़ना धर्मत्याग करना है, यह प्रभु के साथ विश्वासघात करना है। मैंने सोचा कि कैसे मैंने अंत के दिनों के परमेश्वर के सुसमाचार को सुना, लेकिन इसकी जांच किये बगैर इसे अस्वीकार कर दिया था। मैं तक तक उस धारणा से चिपकी रही जब तक कि मेरी आत्मा पूरी तरह से मुरझा नहीं गई। इस धारणा ने वास्तव में मुझे बहुत नुकसान पहुंचाया है!
स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए
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