9 बाइबल के महान क्लेश वाले पद आपको परमेश्वर के मानव जाति को बचाने के अच्छे इरादों को जानने में मदद करते है

28.05.2020

अब आपदाएं दुनिया भर में अक्सर हो रही हैं और बड़े और बड़े पैमाने पर बढ़ रही हैं। बाइबिल में की महानक्लेश की भविष्यवाणी जल्द ही आ पड़ेगी | हमें आपदाओं के पीछे की परमेश्वर की इच्छा को कैसे समझे ताकि हमारे पास आगे बढ़ने का एक सही रास्ता हो? निम्नलिखित सामग्री आपकी मदद करेगी।

"क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा" (मत्ती 24:21)।

"क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा। और हर कहीं भूकम्प होंगे, और अकाल पड़ेंगे। यह तो पीड़ाओं का आरम्भ ही होगा" (मरकुस 13:8)।

"उन दिनों के क्लेश के बाद तुरन्त सूर्य अंधियारा हो जाएगा, और चाँद का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी" (मत्ती 24:29)।

"फिर मैंने स्वर्ग में एक और बड़ा और अद्भुत चिन्ह देखा, अर्थात् सात स्वर्गदूत जिनके पास सातों अन्तिम विपत्तियाँ थीं, क्योंकि उनके हो जाने पर परमेश्‍वर के प्रकोप का अन्त है" (प्रकाशितवाक्य 15:1)।

"फिर मैंने स्वर्ग में एक और बड़ा और अद्भुत चिन्ह देखा, अर्थात् सात स्वर्गदूत जिनके पास सातों अन्तिम विपत्तियाँ थीं, क्योंकि उनके हो जाने पर परमेश्‍वर के प्रकोप का अन्त है" (प्रकाशितवाक्य 16:1)।

"तब स्वर्गदूत ने धूपदान लेकर उसमें वेदी की आग भरी, और पृथ्वी पर डाल दी, और गर्जन और शब्द और बिजलियाँ और भूकम्प होने लगे" (प्रकाशितवाक्य 8:5)।

"और परमेश्‍वर का जो मन्दिर स्वर्ग में है, वह खोला गया, और उसके मन्दिर में उसकी वाचा का सन्दूक दिखाई दिया, बिजलियाँ, शब्द, गर्जन और भूकम्प हुए, और बड़े ओले पड़े" (प्रकाशितवाक्य 11:19)।

"फिर बिजलियाँ, और शब्द, और गर्जन हुए, और एक ऐसा बड़ा भूकम्प हुआ, कि जब से मनुष्य की उत्पत्ति पृथ्वी पर हुई, तब से ऐसा बड़ा भूकम्प कभी न हुआ था" (प्रकाशितवाक्य 16:18)।

"तूने मेरे धीरज के वचन को थामा है, इसलिए मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूँगा, जो पृथ्वी पर रहनेवालों के परखने के लिये सारे संसार पर आनेवाला है" (प्रकाशितवाक्य 3:10)।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

"एक के बाद सभी आपदाएँ आ पड़ेंगी; सभी राष्ट्र और सभी स्थान आपदाओं का अनुभव करेंगे-हर जगह दैवी कोप, अकाल, बाढ़, सूखा और भूकंप होंगे। ये आपदाएँ सिर्फ एक या दो जगहों पर ही नहीं होंगी, न ही ये एक या दो दिनों में समाप्त हो जाएँगी, बल्कि इसके बजाय ये बड़े से बड़े क्षेत्र तक फैल जाएँगी, और आपदाएँ अधिकाधिक गंभीर हो जाएँगी। इस समय के दौरान सभी प्रकार की कीट महामारियाँ क्रमशः उत्पन्न होती जाएँगी, और सभी स्थानों पर नरभक्षण की घटनाएँ होगी। सभी राष्ट्रों और लोगों पर यह मेरा न्याय है। मेरे पुत्रो! तुम लोगों को आपदाओं की पीड़ा या कठिनाइयों को नहीं भुगतना चाहिए। मैं चाहता हूँ कि तुम लोग शीघ्र परिपक्व हो जाओ और जितनी जल्दी हो सके मेरे कंधों के बोझ को उठा लो; तुम लोग मेरी इच्छा को क्यों नहीं समझते हो? आगे का काम अत्यधिक प्रचंड होता जाएगा। क्या तुम लोग इतने निष्ठुर हो कि सारा काम मेरे हाथों में देकर, मुझे अकेले इतना कठिन काम करने के लिए छोड़ रहे हो? मैं सरल वचनों में बोलूँगा: जिनके जीवन परिपक्व होंगे वे शरण में प्रवेश करेंगे और पीड़ा या कठिनाई का सामना नहीं करेंगे; जिनके जीवन परिपक्व नहीं होंगे उन्हें अवश्य पीड़ा और नुकसान भुगतना पड़ेगा। मेरे वचन पर्याप्त रूप से स्पष्ट हैं, है न?"

"दुनिया के सभी राष्ट्रों और सभी स्थानों में भूकंप, अकाल, महामारियाँ, सभी प्रकार की आपदाएँ बार-बार होती हैं। जैसे-जैसे मैं सभी राष्ट्रों और सभी जगहों पर अपना महान कार्य करता हूँ, ये आपदाएँ दुनिया के निर्माण के बाद के किसी भी अन्य समय की तुलना में अधिक गंभीर रूप से उभरेंगी। यह सभी लोगों के बारे में मेरे न्याय की शुरुआत है; किन्तु मेरे पुत्र आराम कर सकते हैं, तुम लोगों पर कोई आपदा नहीं आएगी, और मैं तुम लोगों की रक्षा करूँगा (जिसका अर्थ है कि तुम लोग बाद में शरीर में रहोगे, किन्तु देह में नहीं, इसलिए किसी भी आपदा की पीड़ा को नहीं भुगतोगे)। तुम लोग बस मेरे साथ राजाओं के रूप में शासन करोगे और ब्रह्मांड के अंत तक हमेशा मेरे साथ अच्छे आशीषों का आनंद लेते हुए, सभी राष्ट्रों और सभी लोगों का न्याय करोगे। ये सभी वचन पूरे होंगे और उन्हें शीघ्र ही तुम लोगों की आँखों के सामने प्राप्त कर लिया जाएगा। मैं एक घंटा या एक दिन की भी देरी नहीं करता हूँ, मैं चीजों को अविश्वसनीय रूप से शीघ्रता से करता हूँ। चिंतित या व्याकुल मत हो, और जो आशीष मैं तुझे देता हूँ वह कुछ ऐसा है जिसे कोई तुझसे दूर नहीं कर सकता है-यह मेरा प्रशासनिक आदेश है। मेरे कर्मों की वजह से सभी लोग मेरे प्रति आज्ञाकारी होंगे; न केवल वे जयजयकार ही जयजयकार करेंगे, बल्कि इससे भी अधिक वे खुशी से छलाँग पर छलाँग लगाएँगे।"

"दुनिया के विशाल विस्तार में, अनगिनत परिवर्तन हो चुके हैं, बार-बार महासागर गाद भरने से मैदानों बदल रहे हैं, खेत बाढ़ से महासागरों में बदल रहे हैं। सिवाय उसके जो ब्रह्मांड में सभी चीजों पर शासन करता है, कोई भी इस मानव जाति की अगुआई और मार्गदर्शन करने में समर्थ नहीं है। इस मानवजाति के लिए श्रम करने या उसके लिए तैयारी करने वाला कोई भी शक्तिशाली नहीं है, और ऐसा तो कोई है ही नहीं जो इस मानवजाति को प्रकाश की मंजिल की ओर ले जा सके और इसे सांसारिक अन्यायों से मुक्त कर सके। परमेश्वर मनुष्यजाति के भविष्य पर विलाप करता है, मनुष्यजाति के पतन पर शोक करता है, और उसे पीड़ा होती है कि मनुष्यजाति, कदम-दर-कदम, क्षय की ओर और ऐसे मार्ग की ओर आगे बढ़ रही है जहाँ से वापसी नहीं है। ऐसी मनुष्यजाति जिसने परमेश्वर का हृदय तोड़ दिया है और बुराई की तलाश करने के लिए उसका त्याग कर दिया है: क्या किसी ने कभी उस दिशा पर विचार किया है जिसमें ऐसी मनुष्यजाति जा सकती है? ठीक इसी कारण से है कोई भी परमेश्वर के कोप को महसूस नहीं करता है, कोई भी परमेश्वर को खुश करने के तरीके को नहीं खोजता है या परमेश्वर के करीब आने की कोशिश नहीं करता है, और इससे भी अधिक, कोई भी परमेश्वर के दुःख और दर्द को समझने की कोशिश नहीं करता है। परमेश्वर की वाणी सुनने के बाद भी, मनुष्य अपने रास्ते पर चलता रहता है, परमेश्वर से दूर जाने, परमेश्वर के अनुग्रह और देखभाल को अनदेखा करने और उसके सत्य से दूर रहने, अपने आप को परमेश्वर के दुश्मन, शैतान, को बेचना पसंद करने में लगा रहता है। और किसने इस बात पर कोई विचार किया है-क्या मनुष्य को इस बात के लिये दुराग्रही बने रहना चाहिये-कि परमेश्वर इस मानवजाति की ओर कैसे कार्य करेगा जिसने उसे पीछे एक नज़र डाले बिना खारिज कर दिया? कोई नहीं जानता कि परमेश्वर के बार-बार याद दिलाने और प्रोत्साहनों का कारण यह है कि वह अपने हाथों में एक अभूतपूर्व आपदा रखता है जिसे उसने तैयार किया है, एक ऐसी आपदा जो मनुष्य की देह और आत्मा के लिए असहनीय होगी। यह आपदा केवल देह का नहीं बल्कि आत्मा का भी दण्ड है। तुम्हें यह जानने की आवश्यकता है: जब परमेश्वर की योजना निष्फल होती है और जब उसके अनुस्मारकों और प्रोत्साहनों को कोई उत्तर नहीं मिलता है, तो वह किस प्रकार के क्रोध को छोड़ेगा? यह ऐसा होगा जिसे अब से पहले किसी सृजित प्राणी द्वारा अनुभव नहीं किया या नहीं सुना गया है। और इसलिए मैं कहता हूँ, यह आपदा बेमिसाल है और कभी भी दोहराई नहीं जाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह केवल इस एक बार मनुष्यजाति का सृजन करने और केवल इस एक बार मनुष्यजाति को बचाने के लिए परमेश्वर की योजना है। यह पहली और अंतिम बार है। इसलिए, इस बार जिस श्रमसाध्य इरादों और उत्साहपूर्ण प्रत्याशा से परमेश्वर इंसान को बचाता है, उसे कोई समझ नहीं सकता।"

स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

ज़्यादा जानने के लिए अभी पढ़ें। 

जब हमें तकलीफें होती हैं, तो हम आसानी से परमेश्वर पर विश्वास खो देते हैं और कमजोर और दर्द महसूस करते हैं, फिर परमेश्वर में क्या विश्वास है? हम परमेश्वर पर सच्चा विश्वास कैसे रख सकते हैं? लेख पढ़ें जो आपको परमेश्वर में सच्चा विश्वास विकसित करने में मदद करता है!

क्या आपने कभी किसी कठिनाई या परिस्थितियों के कारण विश्वास खो दिया है और अपनी इच्छा के विपरीत जाते हैं? आज का बाइबल पाठ को पढ़ने से आपको परमेश्वर की इच्छा को समझने में मदद मिलती है!


Hindi Christian film अंश 4 : "कितनी सुंदर वाणी" - क्‍या हमारे पापों की क्षमा सचमुच स्‍वर्ग के राज्‍य का टिकट है?

1यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य, जो उसे परमेश्‍वर ने इसलिए दिया कि अपने दासों को वे बातें, जिनका शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए: और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया, (प्रका. 22:6)

उत्पत्ति 2:18-20 फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, "आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उस से मेल खाए।" और यहोवा परमेश्‍वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखे कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है;...

प्रभु यीशु ने कहा था, "जो मुझसे, 'हे प्रभु, हे प्रभु' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।

मसीह के वचनउद्धारकर्त्ता पहले ही एक "सफेद बादल" पर सवार होकर वापस आ चुका है
कई हज़ार सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को देखने की इच्छा की है जब वह एक सफेद बादल पर सवार होकर स्वयं उन लोगों के बीच उतरता है...

The Bible verses found in the website are from Hindi OV: and all the copyright of the Bible verses belong to Bible Society India. With due legal permission, they are used in this production.Log in
Creado con Webnode
¡Crea tu página web gratis! Esta página web fue creada con Webnode. Crea tu propia web gratis hoy mismo! Comenzar