"आपदाओं के पहले उठा लिया जाना", इसका क्या अर्थ है? "आपदाओं के पहले विजेता बनाया जाना", इसका क्या अर्थ है?

01.05.2020

Meeting the Lord and being caught up is the expectation for all believers in God. Now, it is already in the late period of the last days, various disasters become greater and greater. Whether we can be caught up before the disasters and enjoy God's blessings is the issue that many people who truly believe in the Lord are concerned most. Nowadays, disasters get worse and worse, the day of the return of the Lord has come, but we've yet to see which person who has been caught up in the air, what's going on? What should we do to be caught up before the disasters? For this sake, I'll share an article with you, विपत्ति के पहले स्वर्गारोहण क्या है? ऐसा विजयी किसे कहते हैं जिसे विपत्ति से पहले पूर्ण किया जाता हो? This article can solve our confusion and help us find the answer and thereby avoid missing the chance of being caught up.

अध्यात्मिक प्रश्नोत्तर के भाई-बहनों को नमस्कार,

अब हम अंत के दिनों के अंतिम चरण में हैं, मैंने समाचार में देखा है कि सभी प्रकार की आपदाएँ बढ़ रही हैं और इनका परिमाण भी बढ़ रहा है। मेरे लिए मुख्य मुद्दे ये हैं कि मैं आपदाओं से पहले उठाई और विजेता बनाई जा सकूंगी या नहीं। इन दो मुद्दों के बारे में मेरी राय यह है कि, जब तक हम प्रभु के नाम को हर स्थिति में बनाये रखते हैं, प्रभु के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, मुश्किलों से गुज़रते हुए पीछे की ओर नहीं मुड़ते हैं, तब तक हम विजेता बन सकते हैं। और जब आपदाएँ आएँगी, तो हम प्रभु से मिलने और उनके वादे का आनंद लेने के लिए आकाश में उठाये जा सकते हैं। लेकिन कुछ लोगों ने मेरी राय पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कुछ लोगों ने फलां-फलां चीज़ें हासिल कर लीं हैं और इसके अलावा, आपदाओं का पैमाना बढ़ने और कई तरह की आपदाएँ पहले ही झेल लेने के बाद भी, अभी तक किसी को भी आसमान में उठाये जाते हुए नहीं देखा गया है। क्या वास्तव में उठाये जाने का मतलब आकाश में ऊपर उठाये जाने से है? और क्या विजेता बनना इतना सरल है कि इन चीजों को हासिल करने से ही कोई विजेता बन जाता है? मैं यह सब नहीं समझती, इसलिए मैं आपकी राय पूछना चाहती हूँ। आपके उत्तर की प्रतीक्षा में!

आपकी,

शाओ, शाओ

नमस्कार बहन शाओ शाओ:

यह परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप है कि हम उन मुद्दों के बारे में खोज और संगति कर सकते हैं जिन्हें हम पूरी तरह से नहीं समझते हैं। प्रभु को धन्यवाद!

हम आपदाओं से पहले उठाये और विजेता बनाये जा सकते हैं या नहीं, इसका सीधा संबंध इससे है कि हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं या नहीं। लेकिन अगर हम चाहते हैं कि हम अंतत: विजेता बनें और स्वर्ग में उठाये जाएं, तो हमें पहले यह समझना चाहिए कि वास्तव में उठाये जाने और विजेता बनाये जाने का मतलब क्या है। नीचे, इन दोनों मुद्दों को चर्चा के लिए अलग किया गया है। परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करें!

1. "आपदाओं के पहले उठा लिया जाना", इसका क्या अर्थ है?

अगर हम समझना चाहते हैं कि आपदाओं से पहले उठाये जाने का क्या मतलब है, तो हमें पहले यह जानना चाहिए कि उठाये जाने का क्या मतलब है। कुछ लोगों का मानना है कि उठाये जाने का मतलब यह है कि, जब प्रभु वापस आयेंगे, तो वह हमें आकाश में उठायेंगे, ताकि हम उनसे मिल सकें और इस कारण पौलुस ने 1 थिस्सलुनीकियों 4:17 में कहा है: "तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।" लेकिन क्या प्रभु का इरादा ऐसा ही है? यह पौलुस ने अपनी ओर से कहा था; प्रभु यीशु ने यह कभी नहीं कहा है, पवित्र आत्मा ने ऐसी गवाही कभी नहीं दी, और इसलिए ये शब्द प्रभु के इरादे का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं, शुरुआत में परमेश्वर ने धरती पर मानवजाति का निर्माण मिट्टी से किया, परमेश्वर ने उसे उन सभी चीजों की देखरेख करने के लिए तैयार किया जो उन्होंने पृथ्वी पर बनाई थीं और उन्होंने उसे अपनी आराधना और महिमा करने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, परमेश्वर ने बहुत पहले ही हमें स्पष्ट रूप से कह दिया था कि परमेश्वर पृथ्वी पर अपना राज्य स्थापित करेंगे, वह पृथ्वी पर मनुष्य के साथ रहेंगे, और दुनिया के सभी राज्य मसीह द्वारा शासित राज्य बन जाएंगे। यह वैसा ही है जैसा कि प्रकाशितवाक्य में भविष्यवाणियाँ कहती हैं "देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा" (प्रकाशितवाक्य 21:3)। "जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया, और वह युगानुयुग राज्य करेगा" (प्रकाशितवाक्य 11:15)। इसलिए, जब प्रभु लौटेंगे, तो वह आकाश में लोगों को अपने साथ मिलने के लिए नहीं उठाएंगे, बल्कि पृथ्वी पर अपना राज्य स्थापित करेंगे, क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिए जो गंतव्य तैयार किया है वह पृथ्वी पर पाया जाना है। इसके अलावा, अगर हम आकाश में उठाये जाते, तो हम वहाँ जीवित नहीं रह पाएंगे। तो यह धारणा कि उठाये जाने का अर्थ स्वर्ग में उठाया जाना है, सत्य के और परमेश्वर के कार्य के तथ्यों के अनुरूप नहीं है; यह हमारी धारणाओं और कल्पनाओं का एक उत्पाद मात्र है, और यह एक निरंकुश इच्छा है।

तो फिर उठाये जाने का अर्थ क्या है? आइये परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ते हैं, और हमें समझ आ जायेगा। इस अंश में लिखा है: "'उठाया जाना' नीचे स्थानों से उँचे स्थानों पर ले जाया जाना नहीं है जैसा कि लोग कल्पना करते हैं। यह एक बहुत बड़ी ग़लती है। उठाया जाना मेरे द्वारा पूर्वनियत और चयनित किए जाने को संदर्भित करता है। यह उन सभी पर लक्षित है जिन्हें मैंने पूर्वनियत और चयनित किया है। जिन लोगों ने ज्येष्ठ पुत्रों की, मेरे पुत्रों की, या मेरे लोगों की हैसियत प्राप्त कर ली है, वे सभी ऐसे लोग हैं जो उठाए जा चुके हैं। यह लोगों की अवधारणाओं के साथ सर्वाधिक असंगत है। जिन लोगों का भविष्य में मेरे घर में हिस्सा है वे सभी ऐसे लोग हैं जो मेरे सामने उठाए जा चुके हैं। यह पूर्णतः सत्य है, कभी भी नहीं बदलता है, और किसी के द्वारा भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह शैतान के विरुद्ध जवाबी हमला है। जिस किसी को भी मैंने पूर्व नियत किया है वह मेरे सामने उठाया जाएगा।"

इस अंश से, हम स्पष्ट रूप से यह जानने में सक्षम हैं कि उठाये जाने का अर्थ यह नहीं है कि हम एक नीची जगह से ऊँचे स्थान पर उठाये गये हैं, बल्कि यह उन लोगों को संदर्भित करता है जो परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित किये और चुने गए हैं। पूर्वनिर्धारित होना उन लोगों के संदर्भ में है जिन्हें युगों से पहले उद्धार प्राप्त करने के लिए परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित किया गया था, और चुने जाने से उन लोगों को संदर्भित किया जाता है, जिन्हें पूर्वनिर्धारित किया गया है, वे परमेश्वर के पदचिह्नों का पालन करने में, परमेश्वर के सामने आने में और उनके नए कार्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं-उठाये जाने का यही अर्थ है। जैसा कि हम अच्छी तरह से जानते हैं, व्यवस्था के युग के अंत में, प्रभु यीशु अकरी के एक नए चरण को पूरा करने के लिए आए थे। उस समय, पतरस, यूहन्ना, मत्ती याकूब, आदि सभी ने यीशु द्वारा प्रचार किए गए उपदेशों को सुना, इसलिए उन्होंने व्यवस्था को पीछे छोड़ दिया और प्रभु का अनुसरण किया, और इस तरह वे परमेश्वर के सामने उठाये गए। इसी तरह, प्रभु यीशु ने कहा कि वह अंत के दिनों में लौटेंगे और वह मनुष्य के बीच आकर अपने वचन कहेंगे और मनुष्य को बचाने के लिए अपना कार्य करेंगे। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा है: "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)। "जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:48)। "फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गईं; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसा उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, वैसे ही उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया" (प्रकाशितवाक्य 20:12)। इससे हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि जब प्रभु यीशु अंत के दिनों में लौटेंगे, हमसे कहने के लिए उनके पास अभी भी बहुत सी बातें हैं और वह अपने वचनों को व्यक्त करेंगे और न्याय का कार्य करेंगे। अंत के दिनों के न्याय के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने के बाद ही हम वास्तव में परमेश्वर के सामने आ सकते हैं।

इसलिए, जैसा कि नाम से प्रकट होता है, आपदाओं से पहले उठाये जाने का अर्थ है कि परमेश्वर, महान आपदाओं के आने के पहले, एक बार फिर से दुनिया में व्यक्तिगत रूप से आयेंगे, उस कार्य को करने के लिए जो उन्हें करना आवश्यक है, इस दौरान प्रभु की वापसी का स्वागत करने से ही हम आपदाओं से पहले उठाये जा सकते हैं।

आपदाओं से पहले उठाये जाने का क्या अर्थ है, इस बारे में अब हम संगति कर चुके हैं, इसलिए आइये अब हम इस पर संगति करें कि आपदाओं से पहले विजेता बनाये जाने का क्या मतलब है।

2. "आपदाओं के पहले विजेता बनाया जाना", इसका क्या अर्थ है?

इससे पहले कि हम समझ सकें कि आपदाओं से पहले विजेता बनाये जाने का क्या मतलब है, हमें पहले यह समझना होगा कि विजेता कौन लोग हैं। शाब्दिक रूप से, इसका मतलब लोगों का एक ऐसा समूह है जो विजय पाता है। जैसा कि परमेश्वर में विश्वास करने वाले हम सभी लोग जानते हैं, शैतान परमेश्वर का दुश्मन है, और इसलिए हमें जीतना होगा, अर्थात हमें शैतान पर विजय पानी होगी। इसलिए, विजेता उन लोगों के समूह के संदर्भ में कहा जाता है जो शैतान को हरा देंगे। लेकिन शैतान पर विजय पाने का क्या मतलब है? जब से हमारे पूर्वजों, आदम और हव्वा को शैतान ने बहकाया था, तब से मानवजाति पाप में जी रही है और अभिमानी, कपटी, स्वार्थी, नीच, कुटिल, धोखाधड़ी, आदि जैसे हर तरह के भ्रष्ट स्वभावों से भरी हुई है। यह कहा जा सकता है कि हममें से प्रत्येक इन चीजों से जुड़ा हुआ है और हम इन ज़हरों के सहारे जीते हैं। इसलिए, शैतान पर विजय पाने का मतलब शैतान के बंधनों और जंजीरों को तोड़ना है, उन सभी शैतानी ज़हरों से खुद को छुटकारा पाना है जो हमें परेशान करते हैं, उनके सहारे जीना बंद करना है, इसके बजाय परमेश्वर के वचनों को सुनने और उनके अनुसार जीने में सक्षम होना है। इस तरह हमें विजेता कहा जा सकता है और हमारे पापों को वास्तव में शुद्ध किया जा सकता है, हम प्रकाश में रह सकते हैं और परमेश्वर की विरासत के योग्य हो सकते हैं। जैसा कि प्रकाशितवाक्य में दर्ज किया गया है, "ये वे हैं, जो उस महाक्लेश में से निकलकर आए हैं; इन्होंने अपने-अपने वस्त्र मेम्ने के लहू में धोकर श्‍वेत किए हैं" (प्रकाशितवाक्य 7:14)। "धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:14)। "जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा" (प्रकाशितवाक्य 3:12)। "जो जय पाए वही इन वस्तुओं का वारिस होगा, और मैं उसका परमेश्‍वर होऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा" (प्रकाशितवाक्य 21:7)। "ये वे हैं जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्‍वर के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4-5)। और परमेश्वर के वचन कहते हैं, "जिन्हें आपदा से पहले पूर्ण किया जाता है वे परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी होते हैं। वे मसीह पर निर्भर रहते हैं, मसीह की गवाही देते हैं, और उसकी जय करते हैं। वे मसीह के विजयी मर्द बच्चे और अच्छे सैनिक हैं।"

इन वचनों से, हम देख सकते हैं कि विजेता वे हैं जो इसे महान क्लेशों से जूझकर बाहर निकल आते हैं। वे परमेश्वर के वचनों के न्याय का अनुभव करते हैं, उनके भ्रष्ट स्वभाव शुद्ध कर दिए जाते हैं, उनके पास परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता की वास्तविकता होती है, वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं और वे उनके वादे का आनंद लेते हैं। दूसरे ढंग से कहें तो, एक विजेता होने का मतलब यह नहीं है कि प्रभु के विश्वास में पीड़ित होने, कीमत चुकाने और प्रभु के नाम को रखने में समर्थ होना, न ही इसका मतलब क्लेश के समय पीछे न हटना नहीं है; इसके बजाय, इसका मतलब है कि अंत के दिनों के परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करना और अपने पापों को दूर करना। लेकिन हमारी वर्तमान गन्दगी और भ्रष्टाचार को कितना दूर किया गया है? हमने अभी तक अभिमानी, दंभी, स्वार्थी, नीच, कुटिल, धोखेबाज, दुष्ट, लालची आदि जैसे अपने किसी भी भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं पाया है। जब परमेश्वर हमें आशीष देते हैं, तो हम उनका पालन कर सकते हैं, लेकिन जब चीजें हमारी पसंद के अनुसार नहीं होती हैं, तो हम अनजाने में परमेश्वर को दोष देने लगते हैं। जब हम दूसरों को उपदेश देने में खुद से बेहतर पाते हैं, तो उनके प्रति ईर्ष्या और घृणा हमारे भीतर पैदा हो सकती है। जब कोई बात हमारे हितों को नुकसान पहुंचाती है, तो हम धोखे में संलग्न हो सकते हैं और ईमानदारी से पीछे हट सकते हैं-ये केवल कुछ उदाहरण हैं। इसलिए, अगर हम चाहते हैं कि आपदाओं से पहले हमें उठाया जाए और विजेता बनाया जाए, तो हमें आपदाओं के आने से पहले अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करना चाहिए, परमेश्वर के वचनों के न्याय और ताड़ना का अनुभव करना चाहिए, शैतान के सभी भ्रष्ट स्वभावों को उतार फेंकना चाहिए, परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीना चाहिए, मसीह का गुणगान करना और सभी बातों में मसीह की गवाही देनी चाहिए, और परमेश्वर की आज्ञा का पालन और आराधना करनी चाहिए। इसके बाद ही ऐसा कहा जा सकता है कि किसी व्यक्ति को परमेश्वर द्वारा विजेता बनाया गया है और वह परमेश्वर के वचन को प्राप्त करने और उनके राज्य में प्रवेश करने के योग्य है।


स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

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1यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य, जो उसे परमेश्‍वर ने इसलिए दिया कि अपने दासों को वे बातें, जिनका शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए: और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया, (प्रका. 22:6)

उत्पत्ति 2:18-20 फिर यहोवा परमेश्‍वर ने कहा, "आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उस से मेल खाए।" और यहोवा परमेश्‍वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भाँति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखे कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है;...

प्रभु यीशु ने कहा था, "जो मुझसे, 'हे प्रभु, हे प्रभु' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।

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